Monday, June 27, 2011

पुनर्जन्म और आवागमन में अंतर

पुनर्जन्म और 84 लाख योनियों में आवागमन , ये दो अलग अलग सिद्धांत हैं ।
पुनर्जन्म परलोक में होता है जबकि आवागमन यहीं चक्कर काटने का नाम है ।

हम पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं लेकिन आवागमन को दार्शनिकों की कल्पना मानते हैं ।

गीता भी एक दर्शन है ।

आवागमन की मान्यता वेदों में नहीं पाई जाती जो कि धर्म का मूल स्रोत है ।

...लेकिन किसी के मानने पर कोई पाबंदी तो है नहीं । आज के वैज्ञानिक दौर में भी सफ़ेद झूठ बोला जा रहा है कि मृत्यु के घंटो बाद भी दिमाग़ जीवित रहता है ।

ECG और तरंग आदि शब्द बोले नहीं कि भाई लोगों ने उनके लेख को महान वैज्ञानिक खोज ही घोषित कर दिया ?

वाह , ज्ञान हो तो ऐसा जिसे पढ़कर डाक्टर भी हैरान हो जाय।
कहा जाता है कि इस उपदेश को सुनकर अर्जुन ने श्री कृष्ण जी की पूरी सेना समेत करोड़ो हिंदुओं को मार डाला था। इस युद्ध में 1 अरब 88 करोड़ हिंदुओं ने एक दूसरे की हत्या कर दी और ऐसे ऐसे युद्ध यहाँ आए दिन हुआ करते थे ।

इसके बावजूद भी लोग कहते हैं कि हम तो 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' मानते हैं।
भावना अच्छी है लेकिन यह भी देखना चाहिए कि क्या गीता का उपदेश सुनकर सुखी हो गए थे ?

श्री कृष्ण जी सदाचारी और नीति कुशल थे । इसलिए न तो उन्होंने अपनी सेना दुर्योधन को दी होगी और न ही अपने शिष्य के हाथों उन्हें मरवाया होगा।
वैसे भी गीता की भाषा श्री कृष्ण जी के काल जितनी पुरानी नहीं है।
यादवों से चिढ़ने वाले जातिजीवियों ने श्री कृष्ण जी के उत्तम चरित्र पर लाँछन लगाने के लिए ही उन्हें अर्जुन का रथ हाँकने वाला बताया और अपने शिष्यों को युद्ध के नियम भंग करने की प्रेरणा देते भी दिखाया ।
श्री कृष्ण जी जैसे सदाचारी और परमवीर के लिए ये सब बातें संभव नहीं हैं।
गीता उनके बहुत बाद किसी दार्शनिक ने लिखी है।
शोध करने वाले ऐसा मानते हैं ।
सच को सामने आना ही चाहिए ताकि सदाचारी महापुरूषों का चरित्र हरेक झूठे आरोप से बचा रहे ।